राहु क्या है? राहु छाया है, रहस्य है, राहु भ्रम है, राहु धोखा है, राहु अंधकार है क्योंकि यह सूर्य और चंद्रमा को ग्रस लेता है और उनके साथ युति में ग्रहण योग का निर्माण करता है, राहु छल है, , राहु विध्वंस है, राहु अनहोनी घटनाओं का कारक है, राहु जासूसी का कारक है। चूंकि राहु अंधकार है अतः रहस्य है। चूंकि राहु रहस्य है इसलिये डर का कारण है।
राहु अकेला इतना विध्वंसक नहीं होता बल्कि पाप ग्रहों की युति या दृष्टि से अधिक हो जाता है। अधिकतर शुभ ग्रहों से युति में उनकी शुभता भंग कर देता है, उदाहरण के लिये गुरु चांडाल योग। पाप ग्रहों के साथ अधिक विध्वंसक हो जाता है जैसे मंगल के साथ अंगारक योग । राहु असंतोष, जुनून और भौतिकता का भी प्रतीक है। राहु अनिद्रा व मानसिक रोगों का संकेत है। राहु अशुभ प्रभाव में हो तो जातक/जातिका को निंदनीय कार्य करने को प्रेरित करता है, परपीड़क बनाता है, भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर गलत निर्णय लेने का कारण बनता है। राहु कारावास व बंधन का कारण भी बनता है।
राहु राजनीति में जाने का मार्ग प्रशस्त करता है। आय स्थान का बली राहु अपनी महादशा, अंतर्दशा में लाभ व उन्नति प्रदान करता है व महत्वाकांक्षी बनाता है। राहु बौद्धिक क्षमता, तर्क शक्ति, चातुर्य का प्रदाता है। अविष्कार करने की शक्ति भी राहु देता है। जीवन में अचानक घटित होने वाली घटनाओं में राहु का प्रमुख योगदान होता है।
राहु की अपनी कोई राशि नहीं होती व इसकी चाल सदैव वक्री होती है। इसमें भी मतभेद है कि यह वृष राशि में उच्च का होता है या मिथुन में, वृश्चिक इसकी नीच राशि है या धनु। मान्यता यही है कि मिथुन इसकी उच्च राशि है व धनु नीच। आद्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्रों पर राहू का स्वामित्व है। राहु एक राशि में लगमग डेढ़ वर्ष तक संचार करता है व इसकी महादशा 18 साल की होती है।
यदि अनावश्यक आशंका, डर और बेचैनी बनी रहती हो, विचार और निर्णय बार बार बदलते हों, वर्तमान में न जीकर भूत और भविष्य की कल्पना करते रहते हों, हर काम में बाधा आ रही हो मानसिक रोग, आंतों की समस्या, अल्सर आदि हों तो राहु खराब होने के लक्षण हैं।
आपकी जन्म कुंडली में यदि राहु अच्छे नहीं हैं, जीवन में बाधाएं उत्पन्न कर रहे हैं तो ज्योतिषी से संपर्क कर उपाय जानें। राहु का पत्थर ‘गोमेद’ है जो सोने की अंगूठी में पहना जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त राहु शांति के लिये राहु के निम्नलिखित मंत्रों का सूर्यास्त के बाद एकांत में 108 बार जप करें :
राहु मंत्र :
— — — — —
ॐ रां राहवे नमः
राहु का बीज मंत्र :
— — — — — — — — — — —
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सह राहवे नमः
ॐ नमः शिवाय
**************************************************
Comments